खाना खा रही बच्ची को भेड़िया उठा ले गया:एक पैर गायब, हाथ-पीठ का मांस भी खा गया; बहराइच में लोग घरों में कैद

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4 साल की ज्योति घर के बाहर बैठकर खाना खा रही थी। तभी उसने मां से और दाल मांगा। मां दाल लाने करीब 20 मीटर आगे गई। तभी भेड़िया आया और उसने खाना खा रही ज्योति का मुंह अपने जबड़े में दबाया और उठाकर खेत की तरफ भागा। पास लेटे दादा चिल्लाए, लेकिन भेड़िए ने नहीं छोड़ा। तुरंत ही गांव के 30-35 लोग जुट गए। गन्ने के खेतों की तरफ दौड़े। बच्ची का कुछ पता नहीं चला। सुबह घर से 300 मीटर दूर ज्योति की लाश मिली। बायां पैर गायब था। दाहिना हाथ और पीठ के हिस्से की मांस भी गायब था। बहराइच में भेड़ियों के आतंक की यह घटना इन दिनों लोगों को डरा रही है। एक के बाद एक हमले ने लोगों को शाम होते ही घरों में कैद रहने को मजबूर कर दिया है। पहले ज्योति को उठाया और फिर अगले दिन पड़ोस के गांव की एक बुजुर्ग पर हमला किया। उसके अगले दिन कुछ किलोमीटर दूर एक और बच्ची को खा गया। दैनिक भास्कर की टीम इस वक्त भेड़िया के आतंक से प्रभावित इलाके में है। बच्ची के साथ क्या कुछ हुआ, अब प्रशासन किस स्तर पर तैयारी कर रहा, लोग कैसे बचाव कर रहे, आइए सबकुछ एक तरफ से जानते हैं… बहराइच जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर मंझारा तौकली गांव है। गांव की आबादी करीब 40 हजार है। गांव में जाने वाले रास्तों के अगल-बगल गन्ने के खेत नजर आते हैं। दोनों तरफ झाड़ियां दिखती हैं। भास्कर की टीम इन रास्तों से होते हुए मंझारा तौकली गांव के परागपुरवा में पहुंची। इस वक्त यहां वन विभाग का पहरा है। जाल लगाए गए हैं, कुछ जगहों पर पिंजरा भी लगाया जा रहा है। गांव के लोग इतने सहमे हैं कि अब अपने बच्चों को घर के बाहर भी अकेले नहीं छोड़ते। 4 साल की बच्ची ज्योति को जहां से भेड़िया उठाकर ले गया है, वहां उसके पंजों के निशान को ईंट से घेरा गया है। यहीं हमारी मुलाकात बच्ची के पिता रामजीत गौतम से हुई। वह घटना को लेकर कहते हैं- बच्ची शाम को करीब 8 बजे यहीं बैठकर खाना खा रही थी। उसकी मम्मी प्रमिला उसे खाना खिला रही थी, तभी बच्ची ने कहा कि थोड़ी सी दाल चाहिए। वह वहां से 20 मीटर की दूरी पर घर में गई, लेकिन तभी भेड़िया आया और वह बच्ची का मुंह में दबाकर उठा ले गया। बच्ची की मां प्रमिला अब भी सदमे में हैं। वह बताती हैं- चारों तरफ यहां अंधेरा था, मेरे ससुर भी यहीं खाट पर लेटे थे, इसलिए हम बच्ची के लिए खाना लेने अंदर गए, लेकिन तभी उसने हमला कर दिया। घर से 300 मीटर दूर बच्ची की लाश मिली
गांव में हल्ला मचा तो सभी इकट्ठा हो गए। घर के आसपास गन्ने के खेत हैं। बच्ची के दादा सोहन लाल कहते हैं, भेड़िए ने बच्ची को ऐसा पकड़ा कि वह एक बार भी बोल नहीं सकी, हम थोड़ा नींद में थे लेकिन तुरंत महसूस हो गया कि घटना हो गई है। चिल्लाने पर पूरा गांव इकट्ठा हुआ और सभी लोग लाठी-डंडा लेकर गन्ने के खेत में घुस गए। लेकिन कहीं कुछ भी पता नहीं चल सका। हम सभी पूरी रात बच्ची को खोजते रहे। सोहन लाल कहते हैं, सुबह घर से करीब 300 मीटर दूर बच्ची का छत-विक्षत शव गन्ने के खेत में मिला। भेड़िया उसका बाया पैर खा गया था, दाहिना हाथ और पीठ वाला हिस्सा भी खा गया था। पुलिस और वन विभाग की टीम आई। अगले दिन गांव की महिला पर हमला किया
भेड़िया बच्ची का शिकार करने के बाद गांव के बाहर ही छिपा रहा। उसने अगले दिन मंझारा तौकली गांव के बाभननपुरवा गांव की शिव प्यारी को अपना निशाना बनाया और हमला कर दिया। यह पुरवा परागपुरवा से करीब 4 किलोमीटर की दूरी पर था। 60 साल की पीड़िता इस वक्त बहराइच के जिला हॉस्पिटल में भर्ती है। हम उनसे मिलने हॉस्पिटल पहुंचे। घटना को लेकर वह कहती हैं- हम खाना खाने के बाद गाय को थोड़ा सा खाना खिलाने गए थे, फिर वहीं बैठ गई। तभी पीछे से एक जानवर आया और मुझे नोचने लगा। वह बहुत मजबूत था, मुझे पहले लगा कि कोई इंसान है, मैंने पूरी ताकत से धक्का दिया लेकिन वह मुझे बार-बार नोंचता रहा। तभी मैं जोर से चिल्लाई तो घर में जो और लोग मौजूद हैं वह लाठी-बल्लम लेकर आए और उसे भगाने लगे। लेकिन वह मुझे बार-बार खींचे जा रहा था। किसी तरह से उसने मुझे छोड़ा, उसने मेरी गर्दन और पीठ को बहुत नोंचा। शिवप्यारी के बेटे राजकुमार इस वक्त मां के साथ हॉस्पिटल में हैं। वह कहते हैं- हम लोग उस वक्त बरामदे में थे, मां चिल्लाई तो हम लोग दौड़े। अंधेरा था, तो यह नहीं देख पाए कि वह भेड़िया था या फिर तेंदुआ। बहुत लोग बता रहे हैं कि वह तेंदुआ था। हमारी तरफ वालों ने तो क्लियर नहीं देखा। अब वहां वन विभाग की टीम लगी है, पिंजरा भी लगाया गया है। लाइट भी अब लग गई है। उसका मुंह बड़ा था
शिव प्यारी के देवर सुंदर लाल यादव कहते हैं- जब इन्होंने आवाज लगाई तो हम 4 लोग दौड़े। हाथ में टार्च और लाठी थी, उसे देखते ही हमारा शरीर कांप गया। हमने उसे लगातार डंडे से मारा लेकिन वह लगातार भाभी को खींचता रहा। जब जोर-जोर से मारना शुरू किया तब वह पीछे हटा। उसको देखा कि उसका शरीर पट्टीदार था, मुंह बड़ा था, लेकिन हम भी यह नहीं कह सकते कि वह भेड़िया था या फिर तेंदुआ। गांव के ही किसान अखिलेश यादव भेड़िए को देखने का दावा करते हैं। वह कहते हैं- हमारा घर गांव के बाहर है, जिस दिन चंद्र ग्रहण लगा था, उस दिन हम सभी लोग घर के बाहर ही बैठे थे। तभी गन्ने के खेत से निकलकर भेड़िया आया और घर के सामने बैठ गया। उसके कुछ दूरी पर ही चारपाई पर हमारे बच्चे सो रहे थे। हम लोगों ने टार्च मारा तो वह नजर आया। गंगा की तराई और गन्ने के खेत हमले की वजह
आखिर इस इलाके में हमले की वजह क्या है? इस सवाल का जवाब गांव के ही वकील सतीश यादव देते हैं। वह कहते हैं- यहां के पूरे क्षेत्र में आपको गन्ने ही नजर आए होंगे। यहां से 3 किलोमीटर की दूरी पर घाघरा नदी भी है। इस वक्त कटान की वजह से जंगली जानवरों की आवाजाही भी बढ़ गई है। जानवर अब गन्नों के खेतों में बैठे रहते हैं। हालांकि पहले इधर हमला नहीं होता था, बहुत सालों के बाद ऐसा हो रहा है। इन जंगली जानवरों से बचाव के लिए वन विभाग की टीम लगी हुई है। इसके अलावा हम लोग भी रात में लगातार गश्त कर रहे हैं। बच्चों को लोग अब घर के अंदर ही सुला रहे हैं। हालत यह है कि अब आपको रात में गांव के जो लोग हैं वह सोते हुए नहीं दिखते। सभी रात-रातभर जागकर पहरा दे रहे हैं। यहां के लोगों का जीवन इस वक्त कठिन हो गया है। वन विभाग लोगों को जागरूक कर रहा
बहराइच में पिछले साल भी इसी समय भेड़िए का आतंक था। उन्होंने 9 बच्चों को अपना शिकार बनाया था। इसी वजह से अब जब हमले शुरू हुए तो वन विभाग अलर्ट मोड में आ गया। लोगों को जागरूक करने के लिए गांव-गांव में लाउडस्पीकर से पुकारा जा रहा। इसके अलावा जंगली जानवरों के हमले से बचने के पोस्टर लगाए जा रहे हैं। बहराइच के डीएफओ रामसिंह यादव लगातार इलाकों में पहुंच रहे हैं। कर्मचारियों को लगातार निर्देश दे रहे हैं। वन विभाग की तरफ से दो पंपलेट लगाए जा रहे हैं। एक में पग चिन्हों को पहचानने को लेकर जागरूक किया जा रहा, दूसरे में सावधानियों का जिक्र है। इसमें कहा गया है- खेतों में कम से कम 5 व्यक्तियों के समूह में जाएं। मोबाइल रेडियो के जरिए लगातार ध्वनि करते रहें। छोटे बच्चों को स्कूल अपनी निगरानी में भेंजे। रात में खेतों की सुरक्षा के लिए मचान पर ही सोएं। अगर कहीं आपको वन्य जीव नजर आता है तो तुरंत वन विभाग को सूचना दें। अपने घरों के आसपास पर्याप्त रोशनी का इंतजाम करें। —————————— ये खबर भी पढ़ें…
भेड़िया बच्ची को खा गया…पोस्टमॉर्टम के बाद लाश नहीं मिली:बहराइच में पिता बोले- सिर का एक टुकड़ा बचा; अभी भी घूम रहा भेड़िया बहराइच में 2 दिन के अंदर भेड़िया 2 मासूम बच्चों को अपना शिकार बना चुका है। दो अन्य हमले भी किए। अब स्थिति यह है कि आसपास के गांव में लोगों के अंदर डर भर गया है। रात-रातभर जाग रहे। बच्चों को घर में सुला रहे। गन्ने के खेतों में नहीं जा रहे। दैनिक भास्कर की टीम इस पूरे मामले को कवर करने प्रभावित स्थानों में पहुंची। पूरी ग्राउंड रिपोर्ट पढ़ें…


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