किसान बोले, फसलों की उचित कीमत नहीं मिल रही:महासम्मेलन में आंदोलन की चेतावनी, विश्वकर्मा की पूजा के बाद कार्यक्रम की शुरुआत

किसान बोले, फसलों की उचित कीमत नहीं मिल रही:महासम्मेलन में आंदोलन की चेतावनी, विश्वकर्मा की पूजा के बाद कार्यक्रम की शुरुआत
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उद्योगपति से किसान नेता बने सूरज देव सिंह यादव उर्फ सूरज बाबा के नेतृत्व में बुधवार को किसान महासम्मेलन हुआ। शुरुआत विश्वकर्मा पूजा से हुई और उसके बाद किसानों का जमावड़ा सम्मेलन स्थल पर देखने को मिला। किसानों ने सिंचाई (पटवन) की समस्या और फसलों के उचित मूल्य न मिलने का दर्द साझा किया। सम्मेलन की खासियत रही कि इसमें गया जिले के अतरी विधानसभा क्षेत्र से सबसे ज्यादा किसान जुटे। वजह साफ बताई जा रही है कि एक तो सूरज यादव का ताल्लुक अतरी से है, दूसरा सम्मेलन की आड़ में विधानसभा चुनाव की तैयारी भी देखी जा रही है। हालांकि सूरज यादव खुद चुनावी मंशा से इनकार करते हैं, लेकिन वे यह भी कहते हैं कि यदि किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो मैदान में उतरने से पीछे नहीं हटेंगे। गौरतलब है कि अतरी विधानसभा सीट पर फिलहाल विधायक रनजीत यादव हैं। ऐसे में सूरज यादव की एंट्री चुनावी मुकाबले को दिलचस्प बना सकती है। सूरज यादव ने कहा कि किसानों ने बड़ी संख्या में सिंचाई संकट और फसलों के उचित दाम न मिलने की समस्या उठाई। वर्षों से यह समस्या जस की तस है, जबकि कोई भी सरकार या स्थानीय विधायक समाधान नहीं कर सके। किसान, जिन्हें अन्नदाता कहा जाता है, खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसानों की समस्याओं पर विशेष टीम बना कर रोडमैप तैयार किया जाएगा। जरूरत पड़ी तो राजधानी में आंदोलन कर दूध, सब्जी और खाद्य आपूर्ति रोक दी जाएगी। बड़की पइन का मुद्दा उठाया किसान नेता सुरेंद्र मधुकर ने अतरी क्षेत्र की बड़की पइन का मुद्दा भी उठाया। करीब 15 किलोमीटर लंबी यह पइन वर्षों से मृत पड़ी है। इसकी सफाई नहीं होने से 10 हजार एकड़ भूमि सिंचाई से वंचित है। यदि इसे दुरुस्त कर दिया जाए तो क्षेत्र का बड़ा कृषि संकट खत्म हो सकता है। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन किसानों की बेहतरी और विकास के लिए जरूरी हो गया है। 22 से किसानों का अनिश्चितकालीन धरना इस मौके पर गया जिला किसान सभा के अध्यक्ष सीताराम यादव ने बताया कि 22 सितंबर से खिजरसराय के सरबहदा में किसानों का अनिश्चितकालीन धरना शुरू होगा। सम्मेलन के बाद देर शाम सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुआ, जिसमें किसानों ने गीत-संगीत के जरिए अपनी आवाज बुलंद की। किसान महासम्मेलन में लघु, सीमांत और बड़े जोत के किसान मौजूद रहे। किसानों की भीड़ और माहौल से साफ संकेत मिल रहा था कि यह सम्मेलन सिर्फ मांगों तक सीमित नहीं है, बल्कि आने वाले दिनों में इसका असर कहीं कहीं सियासत में भी दिखेगा।


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