कर्नाटक सरकार ने मैसूर दशहरा में मुस्लिम लेखिका को बुलाया:हाईकोर्ट में विरोध वाली याचिका खारिज; कहा- दूसरे धर्म के त्योहार में जाना अधिकारों का उल्लंघन नहीं

कर्नाटक सरकार ने मैसूर दशहरा में मुस्लिम लेखिका को बुलाया:हाईकोर्ट में विरोध वाली याचिका खारिज; कहा- दूसरे धर्म के त्योहार में जाना अधिकारों का उल्लंघन नहीं
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कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा किसी विशेष धर्म या आस्था को मानने वाले व्यक्ति का किसी दूसरे धर्म के त्योहारों में शामिल होना संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं है। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी मैसूर में दशहरा उत्सव के उद्घाटन के लिए बुकर पुरस्कार विजेता बानू मुश्ताक को आमंत्रित किए जाने से जुड़े मामले में की। जस्टिस विभु बाखरू और जस्टिस सीएम जोशी की बेंच ने राज्य सरकार के इस फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया। बेंच ने कहा संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत धर्म का पालन और प्रचार करने के अधिकार को केवल मुश्ताक नामक सेलेब्रिटी को बुलाने तक सीमित नहीं किया जा सकता। बानू मुश्ताक सामाजिक कार्यकर्ता, कई आंदोलन से जुड़ीं
62 साल की बानू मुश्ताक कन्नड़ लेखिका, सामाजिक कार्यकर्ता और किसान आंदोलनों और कन्नड़ भाषा आंदोलनों से जुड़ी रही हैं। मई 2025 में उन्होंने अपनी कहानी संग्रह एडेया हनाटे (Heart Lamp) के लिए International Booker Prize जीता है।
इस किताब का अंग्रेजी अनुवाद दीपा भस्थ ने किया था। राज्य की सिद्धारमैया सरकार ने उनके साहित्यिक और सामाजिक योगदान को देखते हुए इस बार दशहरा का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित किया है। याचिका में कहा था- मुस्लिम का हिंदू अनुष्ठान में शामिल होना गलत याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि बानू के लिए हिंदू धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल होना गलत होगा। क्योंकि इन अनुष्ठानों में पवित्र दीप जलाना, देवता को फल-फूल चढ़ाना और वैदिक प्रार्थनाएं करनी होती हैं। यह भी कहा गया था कि ऐसी प्रथाएं केवल एक हिंदू ही कर सकता है। हालांकि, राज्य सरकार ने कहा था कि यह राज्य का समारोह है, किसी मंदिर या धार्मिक संस्थान का नहीं। इसलिए धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता। ये उत्सव हर साल आयोजित किया जाता है। पहले भी वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, लेखकों और स्वतंत्रता सेनानियों को बुलाया गया है। राज्य सरकार ने कहा कि मुश्ताक को बुलाने का फैसला कमेटी का है। इसमें विभिन्न दलों के प्रतिनिधि और और विभिन्न सरकारी अधिकारी शामिल थे। 500 साल से मनाया जा रहा है मैसूर दशहरा उत्सव
मैसूर दशहरा उत्सव की शुरुआत 500 साल से भी पहले हुई थी। यह शक्तिशाली वोडेयार राजवंश के शाही काल की याद दिलाता है। इसकी शुरुआत राजा वोडेयार प्रथम ने 1610 में देवी चामुंडेश्वरी (दुर्गा का एक रूप) के सम्मान में की थी, जिन्होंने पौराणिक कथाओं के अनुसार मैसूर में राक्षस महिषासुर का वध किया था और इस क्षेत्र को बचाया था। यह कहानी सिर्फ सुनाई नहीं जाती। इसे 10 दिवसीय उत्सव में दोहराया जाता है।


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