कटिहार के मनिहारी में गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पितृपक्ष के दौरान पिंडदान और अंतिम संस्कार जैसे महत्वपूर्ण कर्मकांडों में बाधा आ रही है, क्योंकि श्मशान घाट जलमग्न हो गए हैं। गंगा के जलस्तर में वृद्धि के कारण खेत-खलिहानों और निचले इलाकों में पानी घुस गया है। कई घरों में भी पानी भर गया है। श्मशान घाट पूरी तरह से डूब गए हैं, जिससे अंतिम क्रियाएं और दाह संस्कार करना मुश्किल हो गया है। लोग मजबूरन खेतों या बांध के किनारे अस्थाई रूप से कर्मकांड कर रहे हैं। पड़ोसी देश से भी दाह संस्कार के लिए आता है शव पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष में पिंडदान और गंगा किनारे दाह संस्कार का विशेष महत्व है। इसी कारण मनिहारी घाट पर पितृपक्ष के दौरान प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु पिंडदान के लिए पहुंचते हैं। कटिहार के अलावा पूर्णिया, अररिया, किशनगंज, मधेपुरा और पड़ोसी देश नेपाल से भी दर्जनों शव दाह संस्कार के लिए यहां लाए जाते हैं। जलमग्न श्मशान घाटों के कारण लोगों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। श्मशानों को बेहतर बनाने के निर्देश स्थानीय निवासी विक्टर झा, श्याम दास और कमलदेव दास ने बताया कि उन्हें अंतिम संस्कार करने में काफी दिक्कतें आ रही हैं। बिहार सरकार ने श्मशानों को बेहतर और आधुनिक बनाने के लिए कई निर्देश दिए हैं, जिनमें पंचायतों में आधुनिक मुक्तिधामों का निर्माण, एलपीजी आधारित शवदाह गृहों को मंजूरी और वर्तमान श्मशान घाटों पर सुविधाओं में वृद्धि शामिल है। हालांकि, वर्तमान स्थिति इन निर्देशों के जमीनी क्रियान्वयन पर सवाल खड़े करती है।
कटिहार में गंगा का जलस्तर बढ़ा:श्मशान घाट हुआ जलमग्न, पितृपक्ष में पिंडदान और अंतिम संस्कार करने में परेशानी
