एलएलबी-एलएलएम… अंक से असंतुष्ट परीक्षार्थी के ई-मेल पर 48 घंटे में भेजी जाएगी कॉपी, छात्र के सामने होगा पुनर्मूल्यांकन

एलएलबी-एलएलएम… अंक से असंतुष्ट परीक्षार्थी के ई-मेल पर 48 घंटे में भेजी जाएगी कॉपी, छात्र के सामने होगा पुनर्मूल्यांकन
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रांची यूनिवर्सिटी के ऑटोनॉमी दर्जा प्राप्त छोटानागपुर लॉ कॉलेज में पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए यह खबर राहत और उम्मीद से भरी है। अब एलएलबी और एलएलएम के छात्र अगर परीक्षा में मिले अंकों से असंतुष्ट हैं, तो उन्हें 48 घंटे के भीतर उनकी उत्तर पुस्तिका ई-मेल पर उपलब्ध कराई जाएगी। इतना ही नहीं, छात्र के आग्रह पर कॉपी का दो परीक्षकों द्वारा उसकी मौजूदगी में पुनर्मूल्यांकन भी किया जाएगा। इसके लिए संबंधित छात्र को 300 रुपए शुल्क देना होगा। सोमवार को प्रिंसिपल डॉ. पंकज चतुर्वेदी की अध्यक्षता में हुई बोर्ड ऑफ स्टडीज़ की पहली बैठक में कई अहम प्रस्तावों पर मुहर लगी। इनमें सबसे बड़ा निर्णय परीक्षा प्रणाली से जुड़ा है। -शेष पेज 11 पर पीएचडी प्रोग्राम को मिली हरी झंडीबोर्ड ऑफ स्टडीज में पीएचडी प्रोग्राम शुरू करने पर भी सहमति बनी। यह प्रस्ताव अब रांची यूनिवर्सिटी की एकेडमिक काउंसिल के सामने रखा जाएगा। स्वीकृति मिलने पर छात्रों को रिसर्च के लिए दूसरे राज्यों में नहीं जाना पड़ेगा। यह झारखंड में विधि शिक्षा के क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ेगा। रिजल्ट इंप्रूव करने और छूटे पेपर के लिए दोबारा एग्जाम दे पाएंगे फाइनल रिजल्ट आने के बाद छात्र 5 पेपर तक इम्प्रूवमेंट एग्जाम दे पाएंगे। इसमें अधिक अंक आने पर रिजल्ट सुधरेगा, कम अंक पर पहले वाला अंक ही मान्य होगा। इसके साथ फाइनल सेमेस्टर की परीक्षा में यदि 25% तक पेपर छूट जाता है तो छात्रों को स्पेशल एग्जाम का अवसर दिया जाएगा। मसलन 4 पेपर हैं और 1 पेपर छूट गया, तो उसके लिए विशेष परीक्षा होगी। ताकि छात्र का साल बर्बाद न हो। बीबीए-एलएलबी समेत छह नए कोर्स शुरू होंगे बीबीए एलएलबी (ऑनर्स) : 5 वर्षीय एलएलएम : एक वर्षीय डिप्लोमा इन साइबर लॉ एंड डाटा प्रोटेक्शन : 1 वर्ष डिप्लोमा इन अल्टरनेटिव डिस्प्यूट रेजोल्यूशन : 1 वर्ष सर्टिफिकेट इन लीगल ड्राफ्टिंग एंड एडवोकेसी स्किल्स : 6 माह सर्टिफिकेट इन आरटीआई, पीआईएल और लीगल अवेयरनेस : 6 माह पहले कॉपी देखने का ही था अधिकारअब तक छात्रों को केवल कॉपी देखने का अधिकार था। ई-मेल पर कॉपी भेजने और पुनर्मूल्यांकन छात्र के सामने कराने की व्यवस्था पहली बार हुई है। इससे छात्रों को परीक्षा प्रक्रिया पर भरोसा बढ़ेगा। कॉलेज प्रबंधन का मानना है कि झारखंड से शुरु हुई यह पहल पूर्वी भारत में विधि शिक्षा के लिए मिसाल बनेगी।


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