अरवल जिले को रेलवे लाइन से जोड़ने की मांग को लेकर बुधवार को सदर प्रखंड परिसर में एकदिवसीय धरना प्रदर्शन किया गया। इसका नेतृत्व रेलवे संघर्ष समिति के सह संयोजक धनंजय यादव ने किया। समिति के नेताओं ने बताया कि, जिले को रेलवे लाइन से जोड़ने की यह मांग वर्षों पुरानी है। आंदोलनकारियों के अनुसार, 45 साल पहले 1980 में लोकसभा और राज्यसभा में अरवल को रेल लाइन से जोड़ने का प्रस्ताव पारित किया गया था। इसके बाद 16 अक्टूबर 2007 को तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने इस परियोजना का शिलान्यास भी किया था। इसके बावजूद आज तक जिले को रेल सुविधा नहीं मिल पाई है। ‘फर्जी’ प्राथमिकी दर्ज कर जेल भेजने का आरोप लगाया धरना प्रदर्शन के दौरान रेलवे संघर्ष समिति के नेताओं ने रेलवे प्रशासन पर मुख्य संयोजक मनोज यादव को ‘फर्जी’ प्राथमिकी दर्ज कर जेल भेजने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मनोज यादव को जेल भेजने से रेल की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन कमजोर नहीं होगा, बल्कि और तेज होगा। समिति ‘रेल के लिए जेल’ के नारे के साथ लगातार संघर्ष कर रही है। मांग न पूरी होने पर आंदोलन खड़ा करेंगे रेल संघर्ष समिति ने केंद्र और राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि यदि आंदोलनकारियों पर दमन की नीति अपनाई गई, तो एक व्यापक जन आंदोलन खड़ा किया जाएगा। समिति ने ‘रेल के फाटक टूटेगा और मनोज यादव छूटेगा’ जैसे नारों के साथ आंदोलन को निर्णायक दौर में पहुंचाने की बात कही। इस अवसर पर रजनीश कुमार, मंटू यादव, विजय कुमार, रोहन लाल, रामेश्वर चौधरी, विकास भोजपुरिया, रविंद्र कनोजिया, जयप्रकाश सिंह, राम अयोध्या प्रसाद विद्यार्थी, बिंदेश्वरी सिंह, शंभू यादव सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे।
अरवल में रेल लाइन की मांग पर धरना:45 साल बाद भी नहीं मिली सुविधा, समिति ने दी आंदोलन की चेतावनी
