बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर अरवल विधानसभा क्षेत्र में सियासी तापमान चढ़ गया है। विभिन्न दलों के नेता टिकट की दावेदारी में जुटे हुए हैं और पार्टी नेतृत्व तक अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। कई नेताओं ने तो टिकट घोषित होने से पहले ही इलाके में अपने कार्यालय खोल लिए हैं और कार्यकर्ताओं को बूथ स्तर पर सक्रिय कर दिया है। गांव-गांव जनसंपर्क, लेकिन नाराज जनता बीते कुछ दिनों से अरवल विधानसभा क्षेत्र के गांव-गांव में नेताओं की आवाजाही बढ़ गई है। पंचायत स्तर पर बैठकों का दौर चल रहा है। छोटे-छोटे नुक्कड़ सभाओं के जरिए नेता जनता से समर्थन की अपील कर रहे हैं।हालांकि, स्थानीय लोगों के बीच नाराजगी भी झलक रही है। कई ग्रामीणों का कहना है कि “नेता सिर्फ चुनावी मौसम में ही दिखाई देते हैं। चुनाव बीतते ही वे गायब हो जाते हैं। जब पानी की किल्लत, सिंचाई की समस्या, अस्पतालों में इलाज की कमी या पुलिस की मनमानी जैसी दिक्कतें आती हैं, तब कोई नेता हमारे साथ खड़ा नहीं दिखता।” जनता की साफ चेतावनी ग्रामीणों का कहना है कि इस बार वोट सिर्फ उसी उम्मीदवार को देंगे जो हर सुख-दुख में साथ खड़ा रहा है। एक किसान रामलखन यादव ने कहा – “अबके हम वोट उसी को देंगे जो खेत-खलिहान और गांव की सच्ची परेशानी समझे। सिर्फ चुनावी वादा करने वालों से हमें कोई उम्मीद नहीं है।” वहीं, महिलाओं का भी कहना है कि रोजमर्रा की समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं देता। सोनबरसा की रहने वाली गीता देवी ने कहा – “पानी और स्वास्थ्य की समस्या सबसे बड़ी है। नेता आते हैं, वादा करते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद कभी हमारी तरफ मुड़कर नहीं देखते।” दलों में टिकट की होड़ जेडीयू, बीजेपी, राजद और कांग्रेस सभी दलों में टिकट को लेकर अंदरखाने खींचतान तेज है। कई नेता प्रदेश नेतृत्व से लगातार संपर्क में हैं। पार्टी का आधार मजबूत करने के लिए दावे किए जा रहे हैं।कांग्रेस के एक स्थानीय नेता ने बताया कि वे पहले से ही कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर चुके हैं। वहीं राजद के एक संभावित प्रत्याशी ने गांवों में चौपाल बैठकों की शुरुआत की है। जेडीयू और बीजेपी के नेता भी अपने-अपने खेमे में कार्यकर्ताओं को जोड़े रखने की कोशिश में जुटे हैं। मतदाताओं का मूड बदला-बदला पिछले चुनावों के विपरीत इस बार मतदाताओं का मूड बदला-बदला नजर आ रहा है। लोग खुलकर कह रहे हैं कि वे इस बार जातीय समीकरण से ज्यादा अपने मुद्दों पर ध्यान देंगे। बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य सबसे बड़े मुद्दे बताए जा रहे हैं।युवाओं का कहना है कि वे सिर्फ उन्हीं उम्मीदवारों को वोट देंगे, जो रोजगार और शिक्षा की ठोस योजना लेकर सामने आएंगे। नतीजे निकालना मुश्किल अरवल विधानसभा में फिलहाल किसी एक दल के पक्ष में स्पष्ट लहर दिखाई नहीं दे रही है। हर दल के संभावित प्रत्याशी इलाके में अपनी जमीन मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि चुनावी समर जैसे-जैसे नजदीक आएगा, समीकरण और दिलचस्प होते जाएंगे।
अरवल में नेताओं ने शुरू की जनसंपर्क अभियान:टिकट की दावेदारी के लिए दिखी होड़, जनता बोली- अब वोट उसी को जो सुख-दुख में साथ देंगे
