अखिलेश दुबे गैंग पर 5 घंटे में जांच-क्लीनचिट:कोर्ट का दरोगा पर एक्शन का आदेश, कानपुर की प्रज्ञा त्रिवेदी केस की फाइल फिर खुलेगी

अखिलेश दुबे गैंग पर 5 घंटे में जांच-क्लीनचिट:कोर्ट का दरोगा पर एक्शन का आदेश, कानपुर की प्रज्ञा त्रिवेदी केस की फाइल फिर खुलेगी
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कानपुर में अखिलेश दुबे गैंग के खिलाफ प्रज्ञा त्रिवेदी की शिकायत पर दर्ज केस की फाइल 14 साल बाद दोबारा खुलेगी। 5 घंटे में दुबे के गुर्गों के खिलाफ एफआईआर पर दरोगा ने जांच कर फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी। कोर्ट ने पांच घंटे में की गई जांच पर आश्चर्य जताते हुए विवेचक दरोगा के खिलाफ सख्त एक्शन का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा-एफआर को रद्द किया जा रहा, अब एडिशनल एसपी या उससे ऊपर के रैंक के अधिकारी इस केस की जांच करेंगे। एसीजे-1 कोर्ट की न्यायाधीश ने पुलिस कमिश्नर से एक सप्ताह में रिपोर्ट भी तलब की है। दरअसल, होटल मालिक प्रज्ञा त्रिवेदी ने दुबे गैंग पर रंगदारी और होटल कब्जाने के लिए साजिश रचने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराया था। दुबे का रसूख, पुलिस ने 5 घंटे के भीतर लगा दी एफआर कानपुर के साकेतनगर की रहने वाली प्रज्ञा त्रिवेदी, क्लासिक कांटीनेंटल होटल की संचालिका हैं। उन्होंने अखिलेश दुबे गैंग के खिलाफ 31 जनवरी 2011 को कोर्ट के आदेश पर 156-(3) के तहत जूही थाने में एक एफआईआर दर्ज कराई थी। एफआईआर में अखिलेश दुबे गैंग के अजय निगम के अलावा चार अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया था। इन लोगों के खिलाफ डकैती, मारपीट, जान से मारने की धमकी देने समेत अन्य गंभीर धाराओं में दर्ज किया गया था। प्रज्ञा ने बताया कि अखिलेश दुबे गैंग, होटल चलाने के नाम पर हर महीने 2 से 3 लाख रुपए की रंगदारी मांग रहा था। इनकार करने पर दुबे ने उन्हें प्रताड़ित कराना शुरू कर दिया। वह होटल पर कब्जा करना चाहता था। दुबे ने उनके खिलाफ अश्लील किताबें छपवाकर बंटवा दी थीं। प्रज्ञा को शादी के मंडप तक से उठवाने का प्रयास किया। उन्होंने बताया कि अखिलेश दुबे की वजह से उनके पार्टनरों ने होटल छोड़ दिया था। पुलिस विभाग तक दुबे के प्रभाव में था। कोई भी वकील केस लेने काे तैयार नहीं था। प्रज्ञा ने बताया कि दुबे पर कार्रवाई नहीं होने पर उन्होंने अजय निगम और चार अज्ञात लोगों के खिलाफ केस कराया। उस समय दुबे का रसूख इतना था कि विवेचक जूही थाने में तैनात रहा दरोगा राजेश कुमार तिवारी ने एफआईआर दर्ज होने के बाद महज पांच घंटे से कम समय में मामले में क्लीनचिट देते हुए केस में फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी। शाम को 5:45 बजे एफआईआर दर्ज हुई और पांच घंटे के भीतर रात 10:30 बजे विवेचक राजेश कुमार तिवारी ने केस में एफआर लगा दी थी। उन्होंने बताया कि दुबे के खिलाफ कानपुर पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार ने जब एक्शन लिया तो न्याय की उम्मीद जगी। वह दोबारा कोर्ट पहुंची और जांच की मांग की। अब आपको बताते हैं कोर्ट ने क्या आदेश दिया प्रज्ञा त्रिवेदी के केस की एसीजे-1 कोर्ट में सुनवाई हुई। महिला जज ने मामले का संज्ञान लेते हुए बुधवार को सख्त आदेश दिया। उन्होंने प्रज्ञा त्रिवेदी की ओर से जूही थाने में दर्ज कराई गई एफआईआर संख्या-26/11 की फाइनल रिपोर्ट को निरस्त कर दिया। केस की दोबारा जांच कराने के लिए पुलिस कमिश्नर को आदेश दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा कि- पुलिस कमिश्नर 3 दिन के भीतर किसी सीनियर पुलिस ऑफिसर जो कि एएसपी रैंक या इससे ऊपर का अधिकारी हो उसको केस की जांच सौंपेंगे। जांच अधिकारी पीड़िता का बयान दर्ज करे। गवाहों के बयान दर्ज करे। संबंधित जो भी तथ्य हैं, उनका कलेक्शन करते हुए केस की दोबारा जांच करें। पूर्व जांच अधिकारी एसआई राजेश कुमार तिवारी को फाइनल क्लोजर रिपोर्ट पांच घंटे में सबमिट करने के कारण विभागीय कार्रवाई का आदेश दिया। पुलिस कमिश्नर को आदेश देते हुए कहा है कि आदेश की कॉपी रिसीव होने के बाद तीन दिन के भीतर जांच अधिकारी नियुक्त करें। 7 दिन के भीतर कार्रवाई करके अपनी प्रगति रिपोर्ट कोर्ट को उपलब्ध कराएं। प्रज्ञा ने कोर्ट में दाखिल की थी ये याचिका…हूबहू पढ़िए “वादिनी प्रज्ञा त्रिवेदी की तहरीर पर धारा 156 (3) के तहत जूही थाने में प्रथम सूचना रिपोर्ट संख्या 15/11, अपराध संख्या 26/11, धारा 323/504/506/395 दर्ज हुई थी। 31 जनवरी 2011 को शाम 5:45 बजे रिपोर्ट दर्ज हुई थी। रिपोर्ट दर्ज होने के बाद मामले की जांच दरोगा राजेश कुमार तिवारी को दी गई थी। विवेचक ने मामले में वादिनी का कोई भी बयान दर्ज नहीं किया। विवेचक ने खुद ही अंतिम रिपोर्ट में वादिनी का बयान दर्ज कर दिया। वारदात के दौरान मौजूद साक्षी का साक्ष्य नहीं लिया गया। इतना ही नहीं अभियुक्तों के मिलने-जुलने व प्रभाव वाले लोगों के बयान अंकित कर प्रकरण में अन्तिम रिपोर्ट लगा दी गई। विवेचक ने महज 5 घंटे में मामले में आरोपियों को क्लीनचिट देते हुए 10:30 बजे पर फाइनल रिपोर्ट लगा दी। इतने गंभीर अपराध वाली घटना की सम्पूर्ण विवेचना पूरी कर चंद घंटे में फाइनल रिपोर्ट लगा देना ही पूरी जांच को संदेह के घेरे में लाता है। विवेचना कर रहे दरोगा ने अज्ञात अभियुक्तों के बारे में कोई विवेचना नहीं की, न ही लूट से सम्बन्धित माल की बरामदगी के सम्बन्ध में कोई प्रयास किया। ऐसा प्रतीत होता है कि विवेचक द्वारा सम्पूर्ण विवेचना किसी एक ही स्थान पर बैठकर अभियुक्तगणों को लाभ देने के उद्देश्य से, अभियुक्तगणों की इच्छा व निर्देशानुसार पूर्ण की गयी। अभियुक्तगणों ने जो नाम बताए, उनके बयान ‘अपनी इच्छा से विवेचक द्वारा अभियुक्तगणों के हित में अंकित कर दिए गए। विवेचक की अभियुक्तगणों से सांठगांठ इस बात से भी प्रमाणित होती है कि विवेचना शुरू करते समय ही विवेचक द्वारा केस- डायरी के नकल रपट काॅलम में पेज नंबर 665810 के पीछे के हिस्से की 16 वीं पंक्ति में अंकित किया गया है कि “चूंकि मुकदमा न्यायालय के आदेश 156 (3) CRPC के अन्तर्गत पंजीकृत हुआ है तथा घटना को हुए काफी अरसा व्यतीत हो गया है तथा घटना संदिग्ध प्रतीत होती है। इसलिए एसआर नहीं भेजी जा रही है, जरिये आरटी सेट अफसरान वाला को दी जाएगी।” उपरोक्त वर्णित तथ्य से विवेचक की मंशा विवेचना के सम्बन्ध में स्पष्टतया प्रमाणित होती है। वादिनी अभियुक्तों के रसूख से डरकर जीवन यापन कर रही थी, जबकि अन्तिम आख्या के बाद भी उन्हें लगातार धमकी दी जा रही थी। वह अपने परिवार सहित अपने मायके में रहकर जीवन यापन करने को मजबूर हो गई थी। आरोपियों का रसूख पुलिस ही नहीं कोर्ट के कर्मचारियों पर इस कदर हावी था कि सन- 2011 में अन्तिम आख्या न्यायालय में आने के बाद भी आज तक शपथकर्ती को कोई भी सम्मन या कारणों के आधार पर थाना जूही द्वारा प्रेषित अन्तिम आख्या (एफ. आर.) 7/11 दिनांक 31.01.2011 सूचना न्यायालय में उपस्थित होने हेतु प्राप्त नहीं हुई है। मामले की दोबारा जांच करने का आदेश देने की मांग की है। प्रज्ञा त्रिवेदी को जानिए… प्रज्ञा त्रिवेदी साकेत नगर में रहती हैं। उनके पति का नाम डॉ. कुलदीप त्रिवेदी है। वो पेशे से कारोबारी हैं। प्रज्ञा ने अखिलेश दुबे के खिलाफ पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार से मिलकर शिकायत की है। इसमें कहा है कि 2009 में उन्होंने बारादेवी चौराहे पर 3 करोड़ की लागत से गणेश गेस्ट हाउस को खरीदकर क्लासिक कॉटीनेंटल के नाम से होटल शुरू किया था। इसमें प्रज्ञा के अलावा दो पार्टनर ओम जायसवाल और उर्वशी रस्तोगी थे। अखिलेश दुबे ने तब 2 लाख रुपए महीने की रंगदारी मांगी थी। नहीं देने पर मेरे साथ मारपीट, लूटपाट और चरित्र हनन तक किया था। दुबे ने मेरे पार्टनर ओम जायसवाल पर तो आधा दर्जन से ज्यादा झूठे मुकदमे दर्ज कराए। वो तो कानपुर से सबकुछ बेचकर लुधियाना शिफ्ट हो गए थे। 15 साल पहले भी दुबे के पैर छूते थे एसपी
प्रज्ञा त्रिवेदी बताती हैं- मैंने वो समय देखा है जब आज से 15 साल पहले भी एसपी से लेकर सीओ तक अखिलेश दुबे के पैर छूते थे। उसने मेरे खिलाफ गंदी किताबें छपवाईं थीं। उसमे मेरे लिए अश्लील बातों का जिक्र था। ऐसी किताब को उसने छपवाकर बंटवा दिया था। उसने मुझे चरित्रहीन बनाने से लेकर कोई कसर नहीं छोड़ी। एक 25 साल की लड़की को कोई इस तरह से बदनाम कराएगा। उसके लिए तो मर जाना ही बेहतर होगा। या तो हम अखिलेश दुबे के पैरों पर गिर जाते या मर जाते। लेकिन ये सब मेरे वजूद में नहीं था। मैं जिस परिवार से हूं कि मैंने दुबे से लड़ने की ठान ली। आज भी वो गंदी किताब संभालकर रखी है
प्रज्ञा ने बताया जब बैंक गई तो मुझे वो किताब मिली जो दुबे ने मेरे खिलाफ छपवाई गई थी। आज तक मैंने वो किताब संभाल कर रखी है। मेरे पास आज भी अखिलेश दुबे के खिलाफ एक-एक साक्ष्य हैं। उसने रंगदारी के लिए मुझे बदनाम किया। मुझे सड़क पर ला दिया था। दुबे के खिलाफ न्यायिक जांच होनी चाहिए। मैं उसके अत्याचार से काफी परेशान हो गई। पैसों की तंगी होने के चलते कई-कई दिन मैं भूखी रही। मुझे जीवन में क्या-क्या नहीं झेलना पड़ा। मैं हार्ट पेशेंट हो गई। मुझे अपना इलाज कराना पड़ा। मैंने दुबे से लड़ने में 15 साल खपाए हैं। मैंने सबसे पहले दुबे को भूमाफिया बताया
मुझे तब भी जान का खतरा था और आज भी है। मैंने ही सबसे पहले अखिलेश दुबे को भूमाफिया बताया था। उसे सब जानते हैं, लेकिन उसके खिलाफ कोई आवाज उठाने वाला नहीं है। मेरे जैसी होटल की मालकिन को दुबे ने सड़क पर ला दिया। उसने मुझे एक-एक पैसे के लिए तरसा दिया। अखिलेश दुबे ने तो मेरा पूरा करियर ही खत्म कर दिया। लेकिन मेरी जीत यही रही कि मैं लड़ती रही और कभी हार नहीं मानी। दुबे ने गलत किया है तभी वो आज जेल में है। जल्द ही सभी को पता चलेगा कि अखिलेश दुबे कितना गंदा आदमी था। —————- यह खबर भी पढ़िए… पुलिसवालों के लड़के न्यूड वीडियो बनाकर करते हैं लूट:लखनऊ में स्टूडेंट से कुकरैल जंगल में 1 लाख ट्रांसफर कराए; गैंग युवाओं को फंसाता है ‘मैं यूपीएससी की तैयारी कर रहा हूं। प्रिपरेशन की वजह से कई वॉट्सऐप ग्रुप से जुड़ा हूं। इस दौरान मेरे पास अज्ञात नंबर से मैसेज आया। यूपीएससी की तैयारी से जुड़ी मदद मांगी, चूंकि मैं एक टीचर भी हूं, तो मैं बातचीत करने लगा। यूपीएससी की तैयारी के लिए गाइड करने की बात किया। …पूरी खबर पढ़िए


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